संवरता आयाम Posted bymuksinghAugust 25, 2020Posted inUncategorized कैद खुली राहों मेंबसर करती है ज़िन्दगीसफर साँसों का हैमंज़िल वही जहाँ सांसें रुके खिलौने की शक्ल में क्या गुमान हैकंधे शान से चलें, यही इनाम हैटूटती, बिखरती, खिलखिलातीज़िन्दगी एक संवरता आयाम है | Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading... Related