रवानी है सोच की
एहसास झिलमिल साँसों की
नज़्म मेरी संवर गयी
जो झलक मिली उस खवाब की
शंख-नाद क्या कल का है
बजी जो धुन इरादों की
खुशबू क्या चेनाब की है
आस में लोट पोट, रम गयी आहें
इंतज़ार क्या बस अब वक़्त का है
बिखरने दो अब मेरी सांसें
जोश धड़कनों में है
गगन से दूरी अब बर्दाश्त नहीं
हाथों की लिखावट
अब पैरों में थिरक रही
चाहत है उस मंज़िल की
जिसकी मुस्कान बंद लिफाफे सी है